जो व्यक्ति किसी को किसी कार्य करने की मना करता है वह व्यक्ति उस कार्य के परिणाम के फल की सजा पाते हुए या तो किसी ओर को देख चुका होता है या अपनी तीसरी बुद्धि और समझ रूपी आंख द्वारा उस कार्य के परिणाम के फल को जान चुका होता है लगभग तभी वह व्यक्ति किसी व्यक्ति को किसी कार्य को करने की अपने विचारो द्वारा, अपनी बातों द्वारा, अपनी पुस्तकों द्वारा आदि इस तरह के व्यवहार द्वारा जिस व्यवहार को समझकर व्यक्ति उस कार्य को न करे इस तरीके से मना करता है ©Sandeep kumar Sakhawar great point मानव हित में