शिवालिक श्रेणियों से दूर देखने पर चोटियों में जमा हुआ है शिशिर का हिम उन चोटियों से आती ठंडी-ठंडी हवाएँ सुबह शाम सर्द कर देती हैं इतना कि सूरज भी रजाई ओढ़े बैठा है बादल आसमान के किसी कोने में जा छुपे हुए हैं