अधूरा है दिवानापन तुम थोड़ी देर ठहर जाओ प्यासा हू मै सदियों से तुम थोड़ी देर ठहर जाओ भिगा दो मेरे तन मन को तुम अपने प्यार की बारिस में पुकारे तुमको मन हरदम तुम थोडी़ देर ठहर जाओ मिलो हमसे तुम ऐसे कि उमर भर रिश्ता बन जाये सहा जाये ना अधूरापन कहां हो तुम चले आओ अकेले चल रहा कबसे मैं चाहत की इन राहों में तुम आओ ऐसे जिवन में कि फिर वापस नहीं जाओ अधूरा है दिवानापन............................ thahar jaao