सुरूर मोहब्बत का, बिना जाम का चढ़ा, एक बार देखा उसे तो, बार बार देखने का जी हुआ। था वो कौन सा सुहाना लम्हा, जिसमें दीदार हुआ तेरा, पल भर का ही सही वह लम्हा, लेकिन हुआ में दीवाना तेरा। नई-नई ख्वाहिशें हर दिन जगती, चाहत उतनी ही मोहब्बत की बढ़ती, दिल को अब कितनी तसल्ली दूं, उतनी ही कशमकश मेरी बढ़ती। उनके मोहब्बत के सुरूर में, बिना बारिश का भी में भीगा, देख के उनकी सिर्फ एक झलक, में खुद ही अपना वज़ूद भुला। -Nitesh Prajapati ♥️ Challenge-902 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।