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जिंदगी रुकी क्या? , हम तो आगे बढ़ते गए । रुकावटें

जिंदगी रुकी क्या?  , हम तो आगे बढ़ते गए ।
रुकावटें आई, चिंताएं शैल हुईं, ।
हम आगे बढ़ते गए , आगे बढ़ते गए।

अंधकार घनघोर था , शून्य चहूं ओर था।
उम्मीद की मशाल को हाथ में लिए हम ,
आगे बढ़ते गए, आगे बढ़ते गए ।

कभी दूसरों पे तो , कभी खुद पे भरोसा किया।
अपनों को साथ में लेके , हाथो  में हाथ लेके , 
दुर्गम पथ स्वीकार किया ।

हजारों आशाओं - निराशाओं से बनी है जिंदगी ,
बाधाओं --संभावनाओं से घिरी है जिंदगी।

योजनाएं थी , प्रयत्न में हर कोश था ।
रात के आगमन से पहले उनको ,पूरा करने का जोश था।

ना टूटे हम ,न थमे हम , 
कर्म करते गए,
कर्तव्य निभाते गए , 

आगे बढ़ते गए , आगे बढ़ते गए , आगे बढ़ते गए ।

©Niti Adhikari
  #उम्मीद #जोश #उत्साह