शांत बैठे हो, कुछ सोच कर तो देखो अधूरा सोचकर रह जाओगे तो क्या हुआ मौन राहों में एक दफा चल कर तो देखो थोड़ा लड़खड़ा भी जाओगे तो क्या हुआ हजार सपनो को तुम सजा कर तो देखो दो- तीन गर टूट भी जायेंगे तो क्या हुआ लाखो रास्ते मंज़िल के बना कर तो देखो एक आध भूल भी जाओगे तो क्या हुआ महफिलों से काफियां, रख कर तो देखो अगर ठुकराये भी जाओगे तो क्या हुआ कठिनाई देख कर हम, मगरूर नहीं होते दूसरों के कहने से कभी मजबूर नहीं होते.. .. .. .. .. .. 🥀🥀🥀🥀🥀🥀🥀