#OpenPoetry प्यार तुझसे था तेरे रंग रूप से नही अगर ना हो यकीं तो यकीं कर लेना क्युकी एक चेहरे ने हमारी गलियों में भी ईश्क़ लिखा है लोगो को उसमें तुझसे भी ज्यादा नूर दिखा हैं पर इस नूर पर तो ये सख़्श ना तब बिका था ना आज बिका है प्यार तुझसे ही किया था तुझसे ही किया है ।। #तरुणपण्डित# #OpenPoetry