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काश! तुम होते,तो खुशनुमा जहाँ होता..! थोड़ी सी जमी

 काश! तुम होते,तो खुशनुमा जहाँ होता..!
थोड़ी सी जमीं मोहब्बत की,ख़्वाबों का पूरा आसमाँ होता..!

गुज़र रही है ज़िन्दगी,यूँ ही अकेले तन्हा..!
तुम होते करीब तो,इस ग़रीब का भी मकाँ होता..!

नहीं मालूम कैसे,होती बसर ज़िन्दगी..!
कब कैसे किधर,और कहाँ होता..!

क़ैद हैं ख़्वाहिशों का परिंदा,बन के बुजुर्ग यहाँ..!
तेरी चाहतों के असर से,इक दिन ये दिल जवाँ होता..!

मोहब्बत के शहर में नाम हमारा,हमेशा के लिए रवाँ होता..!
ख्यालों में खोये है कि,अपना भी कोई हमनवाँ होता..!

©SHIVA KANT
  #Hum #kashtumhote