हमारा चौक कस्बे का हमे चौका के मिलता है यहाँ सोचो दिखे अपना तो कोई भी न मिलता है जो सोचो देख न ले तो कोई कई बार मिलता है मोहल्ला भी तो सारा तब उसी बाजार मिलता है ©दीपेश #Coincidentally #Smile