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मुझ पर मरती थी तो मेरी खामोशियों से बैर करती क्यों

मुझ पर मरती थी तो मेरी खामोशियों से बैर करती क्यों हो,
तुम चांद तो चाहते थे,हिस्से में दाग आएंगे तो डरती क्यों हो।

ना जाने कितने दिन तुमने क्या-क्या न बर्बाद किया मेरा 
आज हमारे लूटने की सारी तारीखे याद करती क्यों हो।

न जाने कि आज तक कितनी रातें जागते हुए काटी,
मेरे ख्वाबों न आना बिलकुल, तुम मेरा चैन चुराती क्यों हो।

उम्र का यह दौर ताउम्र मुझे तेरी बेरुखी याद दिलाएगा,
तुम एक दौर थी ख्वाहिशों का अब तन्हाई में रूलाती क्यों हो।

कभी तेरे लिए ज़िद तकलीफ नहीं मोहब्बत समझता था,
अब मैं तुमको चाहता हूं तो तुम इतना याद आती क्यों हो।

#ajaynswami

©Ajaynswami
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