तन्हाई, मेरी दोस्त हाल-ए-दिल तुम्हें न बताएँगे तो कहाँ जाएँगे, अश्क़ तुम्हारे आगे न बहाएँगे तो कहाँ जाएँगे, समझता और कौन है भला, तुम्हारे सिवा मुझे, हालात अपने तुम्हें न समझाएँगे तो कहाँ जाएँगे, भोर से सांझ तलक ये रुपया रखता है व्यस्त मुझे, थके-हारे हम तुम्हारे पास न आएँगे तो कहाँ जाएँगे, हैं किस्से कई, कहानियाँ कई, सफ़र-ए-ज़िंदगी की, गमगीन नज़्म अपने तुम्हें न सुनाएँगे तो कहाँ जाएँगे, ऐ तन्हाई, सिर्फ़ तुमने कबूली है दोस्ती “साकेत" की, भला अब तुम्हें भी हमराज़ न बनाएँगे तो कहाँ जाएँगे। IG:— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla तन्हाई, मेरी दोस्त..! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .