हे ईश्वर कैसी है ये तेरी लीला, क्या किसी का भला करने की मिलती ऐसी सजा? न किसी से कह पाऊं, न ही कहना चाहूं, बस थक गया, लिखना भी न चाहूं ये घटना। चाहूं तो सिर्फ इतना कि तुझमें लीन हो जाऊं अब यहां। ©Akhil Kael unspoken