मज़बूती से खड़ा दृढ़ता से ज़मीं में क़दम जमाये अपनी बाँहों को आसमाँ में फैलाये ना जाने कितनों को सहारा देते सुकूँ की छाँव देकर सर से पाँव तक औरों के सुख में समर्पित निर्लिप्त भाव से तुम महज़ एक दरख़्त नहीं तुम तो ईश्वर की कल्पना हो एक आदर्श मानव की. ©malay_28 #छाँव