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धरती धँस गई धरती उनकी निवृत्ति की मेरी बात सुनकर

धरती

धँस गई धरती उनकी
निवृत्ति की मेरी बात सुनकर
किसकी धरती ?
धरती किसीकी धँसी नहीं
तुम भ्रम में हो
धरती नहीं धँसती
वह सिर्फ़ घूमती है 
इसे कोई रोककर रख नहीं सकता 
धरती स्थिर नहीं है 
घूमती है उसे घूमने दो
क्यों उसे स्थिर रहने दो ।
कभी नहीं भरता जी
जितना भरो उतना ही 
रीता रहता है जी
हित इसीमें है 
इस सच को समझ लो ।
न धरती स्थिर , 
न आकाश स्थिर
धरती और आकाश के बीच
चर-अचर भी अस्थिर
इस परम सत्य को जानकर
चित्त को अपने में करो सुस्थिर
वहीं है परम सुख 
और परम आनंद भी भरपूर ।

-बाहुबली भोसगे धरती
धरती

धँस गई धरती उनकी
निवृत्ति की मेरी बात सुनकर
किसकी धरती ?
धरती किसीकी धँसी नहीं
तुम भ्रम में हो
धरती नहीं धँसती
वह सिर्फ़ घूमती है 
इसे कोई रोककर रख नहीं सकता 
धरती स्थिर नहीं है 
घूमती है उसे घूमने दो
क्यों उसे स्थिर रहने दो ।
कभी नहीं भरता जी
जितना भरो उतना ही 
रीता रहता है जी
हित इसीमें है 
इस सच को समझ लो ।
न धरती स्थिर , 
न आकाश स्थिर
धरती और आकाश के बीच
चर-अचर भी अस्थिर
इस परम सत्य को जानकर
चित्त को अपने में करो सुस्थिर
वहीं है परम सुख 
और परम आनंद भी भरपूर ।

-बाहुबली भोसगे धरती
anekanthb6557

Anekanth B

New Creator

धरती