कितना प्यार होता है ना जब नया रिश्ता बनता है एक दूसरे के साथ घण्टों बात करना एक दूसरे के साथ वक्त बिताना एक दूसरे के बिना खाना नहीं खाना शुरू शुरू में ये सब करना बहुत अच्छा लगता है रोज एक दूसरे का इंतज़ार करना की कब उसका चेहरा हमें नज़र आएगा लेकिन जब धीरे धीरे वक्त बीतता है तो बो ही सब हमें कुछ अजीब सा लगता है ना हम उससे बात करते है सही से न उसका इंतज़ार खाना तो हम उसको पूछे बिना ही खा लेते है क्या यही प्यार होता है जब मन चाहा बात की जब मन कहा नहीं की गलती का अहसास हमें तब नहीं होगा जब बो हमारे पास होगा गलती का अहसास हमें तब होगा जब बो हने साथ नहीं होगा कितना प्यार