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ऊँचा उढने कि झटपटाहट में मैं अपने पंख तोड आया हुँ,

ऊँचा उढने कि झटपटाहट में मैं अपने पंख तोड आया हुँ,
कुछ अपनो को कुछ गैरो को रोता ही छोड आया हुँ,
फिजूल में जिंदा रहने कि चाहत ना थी ना है मुझमें,
वर्षो पहले मैं खुद को जला कर दफ्न कर आया हुँ । ऊँचा उढने कि झटपटाहट में मैं अपने पंख तोड आया हुँ,
कुछ अपनो को कुछ गैरो को रोता ही छोड आया हुँ,
फिजूल में जिंदा रहने कि चाहत ना थी ना है मुझमें,
वर्षो पहले मैं खुद को जला कर दफ्न कर आया हुँ ।
#nagvendrasharma #aboutlife #life #mycondition #zindgi #jang #mythoughts #yqquotes
ऊँचा उढने कि झटपटाहट में मैं अपने पंख तोड आया हुँ,
कुछ अपनो को कुछ गैरो को रोता ही छोड आया हुँ,
फिजूल में जिंदा रहने कि चाहत ना थी ना है मुझमें,
वर्षो पहले मैं खुद को जला कर दफ्न कर आया हुँ । ऊँचा उढने कि झटपटाहट में मैं अपने पंख तोड आया हुँ,
कुछ अपनो को कुछ गैरो को रोता ही छोड आया हुँ,
फिजूल में जिंदा रहने कि चाहत ना थी ना है मुझमें,
वर्षो पहले मैं खुद को जला कर दफ्न कर आया हुँ ।
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