फेंक दिऐ सब भालों पर भाले, आखिर अब उनको कौन सम्हाले। गीदङ जैसी चतुराई करने वाले, चल सकते हो तुम ओछी चालें। हर बार शिकार न बच सकता है, देखो भारत ने भी सिंह हैं पाले। ऐसा भी कोई बना लो सांचा, "नीरज" जैसा रणवीर जो ढाले। ©veer jii ziya ansari VAniya writer * Pooja Vedashri Deep Sharma Santosh