हर इंसान आज दिल से गरीब है किसको कोसें सब अपना अपना नसीब है कहने को ता-उम्र साथ निभाएंगे वक्त आने पर ज्ञात होता कौन कितना करीब है लिखना आता नहीं फिर भी लिख रहे न जाने ये खेल कितना अजीब है हर कोई दूसरे की आखिरी सांस की दुआ कर रहा मानो हर कोई यहां एक दूसरे का रकीब है हर शेर मुकर्रर वाला लिखता है न जाने वो कैसा अदीब है इन इंसानों से भिन्न पहचान बना अपनी बन गया गर इनके जैसा तो 'भारत' तेरा मुकद्दर बदनसीब है अदीब - Writer #PoetInMe #ShayarInMe #KaviBhitar #GhazalPyaar #NojotoGhazal #Kalakaksh #Anthem