Nojoto: Largest Storytelling Platform

उड़ान भरते कलमकार...। वाणी को शब्दों के धागों मे

उड़ान भरते कलमकार...।


वाणी को शब्दों के धागों में तोल,
 कोरे कागच पर अपने अल्फाज़ को उतारा है,
यूं तो लिखने को ढेरों शब्दों का भंडार भरा,
पर उसमें छंद अलंकार का कर समावेश,
भावों से परिपूर्ण बनाया है,
बार बार करती गहन विचार अपने शब्दों पर,
तब जाकर लिखती कोई कहानी कविता हूं मैं,
यूं ही नहीं कोई कहानी कविता की करता तारीफ है,
उसमें छुपा होता भावार्थ है,
 तब जाकर छूता पाठक के मन को,
 यूं ही नहीं कोई कवि अपनी पहचान बना पाता,
 उसे अपनी लेखनी में बार बार सुधार करना होता,
 कभी कभी लिखे शब्दों में भावो का समावेश करना होता,
 और विचारों से परिपूर्ण भावभक्ति से ओतप्रोत कविता,
 पाठक के मन को छू दिलों में सम्मान पाती है,
 तब जाकर लेखक उड़ान भरने में सक्षम होता है।

©Pinki Khandelwal कुछ बनने के लिए कुछ खोना पड़ता है।

कुछ बनने के लिए कुछ खोना पड़ता है।

168 Views