धरती डोले अम्बर डोले, दिल क्यों ये बोले, काहे को है गर्मी इतनी, पत्ता एक न डोले, सोच रहा है आज का मानव, कल कैसा होगा भैय्या, पेड़ काटे ऐ सी लगाए, गर्मी बहुत है भैय्या, मान जा तू आज ही तो, कल सुरक्षित होगा, भोगेगा स्वर्ग सा फल, आज जो संगठित होगा, दिल प्रफुल्लित होगा तब, जब पेड़ पौधे पंक्षी बोले, सन्तुलन रहेगा जो धरा का, हर मानव खुशहाल होले, धरती डोले अम्बर डोले......! धरती बोले अम्बर बोले.....!