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13वीं सदी में बाहड़राव ने, बाड़मेर को बसाया हैं। थ

13वीं सदी में बाहड़राव ने,
बाड़मेर को बसाया हैं।
थार महोत्सव व पशु मेलों ने,
हर मन को हरखाया हैं।।
थार नगरी के नाम से,
बड़मेर को जाना जाता हैं।
बलिदानी व देश-प्रेम से,
कई वीरों का नाता हैं।।
हम बाड़मेर के रहने वाले,
अपनी धुन के मतवाले हैं।
ऊँच-नीच का भाव नहीं,
हम प्रेमभाव के रखवाले हैं।।13।।
बाढाणे ने देखण खातिर,
ऐक बार थे जरूर पधारो।
सबसूँ न्यारो सबसूँ प्यारो,
बाढाणो हे शहर हमारो।।14।।
बाड़मेर #MeraShehar #बाड़मेर #कवि_जीत_परमार
13वीं सदी में बाहड़राव ने,
बाड़मेर को बसाया हैं।
थार महोत्सव व पशु मेलों ने,
हर मन को हरखाया हैं।।
थार नगरी के नाम से,
बड़मेर को जाना जाता हैं।
बलिदानी व देश-प्रेम से,
कई वीरों का नाता हैं।।
हम बाड़मेर के रहने वाले,
अपनी धुन के मतवाले हैं।
ऊँच-नीच का भाव नहीं,
हम प्रेमभाव के रखवाले हैं।।13।।
बाढाणे ने देखण खातिर,
ऐक बार थे जरूर पधारो।
सबसूँ न्यारो सबसूँ प्यारो,
बाढाणो हे शहर हमारो।।14।।
बाड़मेर #MeraShehar #बाड़मेर #कवि_जीत_परमार