मुसीबत तो सम्पूर्ण विश्व पर जमकर छाई है किंतु आज इक स्त्री,अपना घर संभालते नजर आई है न जाने कब की यादें,जो जिम्मेदारियों में धूमिल हो चलीं थीं आज उन पर हाथ फेरते ही,आंखों में कुछ नमी सी पाई है लेकिन,मुसीबत तो सम्पूर्ण विश्व पर जमकर छाई है। ©virutha sahaj #झलक