Nojoto: Largest Storytelling Platform

सामने मंज़िल थी और, हम छू भी ना सके!! कदम लहूलुहा

सामने मंज़िल थी और, हम छू भी ना सके!!

 कदम लहूलुहान थे और, 
 खुद का रंग देख भी न सके!!

 नाइंसाफी देखो लकीरों की लकीरों से, 
 
मेरे ही हथेली पर थे और, 
 मेरे ही बनकर रह ना सके!! #December #poetry#nojoto#quotes
सामने मंज़िल थी और, हम छू भी ना सके!!

 कदम लहूलुहान थे और, 
 खुद का रंग देख भी न सके!!

 नाइंसाफी देखो लकीरों की लकीरों से, 
 
मेरे ही हथेली पर थे और, 
 मेरे ही बनकर रह ना सके!! #December #poetry#nojoto#quotes
maya8055429748300

Maya

New Creator