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लकड़ी में धार कितनी भी लगाओ, लेकिन वो शमशीर नही बन

लकड़ी में धार कितनी भी लगाओ,
 लेकिन वो शमशीर नही बनती,
 
काँच के टुकड़ों को कितना भी सजाओं,
 लेकिन..
 बिगड़ी हुई तस्वीर नही बनती,
 
मेरे मुक़्क़दर में कुछ और लिखा है,
 
हर किसी के चाहने से यहाँ,
 हर किसी की तक़दीर नही बदलती...!

©Umesh kumar #टूटी हुई तक़दीर..
लकड़ी में धार कितनी भी लगाओ,
 लेकिन वो शमशीर नही बनती,
 
काँच के टुकड़ों को कितना भी सजाओं,
 लेकिन..
 बिगड़ी हुई तस्वीर नही बनती,
 
मेरे मुक़्क़दर में कुछ और लिखा है,
 
हर किसी के चाहने से यहाँ,
 हर किसी की तक़दीर नही बदलती...!

©Umesh kumar #टूटी हुई तक़दीर..