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रसमों पे चलते हो , रिवाजों की बात करते हो .....

रसमों पे  चलते हो ,
रिवाजों की बात करते हो .....

रसमें क्या आदमी से बड़ी हैँ ,
क्यों नहीं  इंसानियत की,
किसी  के टूटते  ख्वाबों की बात करते हो ..

दिल गर कहता  है कुछ गलत चल  रहा है ,
क्यों नहीं दिल में उठ रही आवाजों की बात करते हो ....







 Riwaj
रसमों पे  चलते हो ,
रिवाजों की बात करते हो .....

रसमें क्या आदमी से बड़ी हैँ ,
क्यों नहीं  इंसानियत की,
किसी  के टूटते  ख्वाबों की बात करते हो ..

दिल गर कहता  है कुछ गलत चल  रहा है ,
क्यों नहीं दिल में उठ रही आवाजों की बात करते हो ....







 Riwaj