काँपते हॄदय से ।। हे दयानिधे ! रथ रोको अब, क्यों प्रलय की तैयारी है! ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है ! नैना रोते रोते सूखे, अब नीर कहाँ इन आँखों में? परवाज पे जिनकी गर्व बड़ा, अब जान कहाँ इन पाँखों में? अपने भी साथ नही अपने, जंग जीवन से यूँ जारी है! ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है! .. हमने खुद को यूं बसा लिया, वैज्ञानिकता की बांहों में, अवरोध खड़े कर दिए बड़े, हर एक दूजे की राहों में; धरती माता का दोहन तो, कर लिया गगन की बारी है! ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है! जिन मुश्किल से गुजर रहे, ये खेल हमारे अपने हैं, जीवन अनमोल बिका जिन पर, कुछ चंद सुखों के सपने हैं ; हर ओर तमस दिखता है अब, भय में हर रात गुजारी है! ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है! कितने परिचित कितने अपने, कितने आखिर यूँ चले गए, जिन हाथों में दौलत-संबल, सब क्रूर काल से छले गए; हे राघव-माधव-मृत्युंजय, पिंघलो ये अर्ज हमारी है! ये बिना शस्त्र का युद्ध है जो, महाभारत से भी भारी है ।। ©villain #villainzaibe #Villain #pray4india #maskupindia #lockdown #corona #Death #people #poem