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में एक शब्द दूँगा, तुम सँवारलोंगे, मेरी शायरी को त

में एक शब्द दूँगा, तुम सँवारलोंगे,
मेरी शायरी को तुम संभाललोंगे।

ये दिल में दूँ? क्या राखोंगे इसे?
क्या इन टूटे टुकड़ो को संभाललोंगे?

पायब हैं अभी तो जान-पहचान हमारी,
क्या इस अजनबी को दिल में पनाह दोंगे?

यूँतो पूछता नहीं ये किसीभी नवागत से में,
पर क्या आप इस महोब्बत को अंजाम दोंगे?

- जय त्रिवेदी ('रुद्र')

©Jay Trivedi #कविता #प्यारकाप्रस्ताव #Love #Original
में एक शब्द दूँगा, तुम सँवारलोंगे,
मेरी शायरी को तुम संभाललोंगे।

ये दिल में दूँ? क्या राखोंगे इसे?
क्या इन टूटे टुकड़ो को संभाललोंगे?

पायब हैं अभी तो जान-पहचान हमारी,
क्या इस अजनबी को दिल में पनाह दोंगे?

यूँतो पूछता नहीं ये किसीभी नवागत से में,
पर क्या आप इस महोब्बत को अंजाम दोंगे?

- जय त्रिवेदी ('रुद्र')

©Jay Trivedi #कविता #प्यारकाप्रस्ताव #Love #Original
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Jay Trivedi

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