कोरोना काल, आया महाकाल ,हम तो, बच गए बाल बाल जान बची पर चिंता बढ़ी,आम सी जिंदगी कठोर सी हुई आमदनी किसी की शुरुआत में गई ,कोई कर गया महीनों पार जब बारी हमारी आई, तब समझी हमने यह बात। नौकरी गई इन हालातों में ,हालत बिगड़े विदेशों शहरों गांव में। चेहरे से मुस्कान गई ,खर्चों में की गई कटौती सरकारी तो सरकारी है,प्राइवेट मुलाजिमों ने बाजी हारी दुकानों पर ताले पड़ गए, सूखे हुए त्यौहार, समस्या में ही समाधान,उलझन में भी सुलझाना , विपत्ति में ही उत्पत्ति ,असंभव में भी संभव , गिरने के डर से ना चलना, नहीं हमारा स्वभाव, कोरोना तू क्या जीतेगा ,नहीं तेरी ऐसी औकात , हम हिंदुस्तानी दिखा देंगे ,उसको उसकी असली जात। ©Andaaz bayan कोरोना काल #Lockdown_Story Aditya Divya Amiya Avin Dsouza