फुर्सतों में ही पढ़ता हूँ मोहब्बत की पोथियां, तवज्जो पर अपने काम-काज रखता हूं। बहुतेरे दिल पर ऐसे राज किया है, लहजा नरम और सख्त मिजाज रखता हूं। दांव कई खेला हमने रिश्ते की आजमाइश पर, जीत अपनी हो पर सर उनके ताज रखता हूं। बयान कुछ नहीं देता दिल बेवफाई के वादाकशों को बहुत परखा गया हूँ जो खामोश आज रहता हूं। मैं "बावरा,, हूँ तो मुझे बावरा ही रहने दो बड़े काम का है ईमान जो दौर के आज रखता हूं।। © बृजेन्द्र 'बावरा' www.facebook.com/bawraspoetry/ #NojotoQuote 'आज के दौर का ईमान' #NojotoHindi #bawraspoetry #mohabbat ki #pothi #लहजा नर्म और #सख्तमिज़ाज