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अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे डरे हुए अंधे

अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे 
डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,,

काली काली रातों ने क्या कहर मचाया
अब न तेरी न मेरी कुछ अनमनी होने दे ,,,,,,, 

बहुत बातें की हैं तूने रातों में पसरकर
सुकुड़ के जानाँ सुबह मनमोनी होने दे ,,,,,,,

मेरे जबीं पर करीं होके रख्खे कितने बोसे
मकाँ तो तेरा हुआ अब मुझे मकीनी होने दे,,,,

     ( जबीं - माथा, करीं- करीब , बोसा- चुम्बन, मकीं- मकान में रहने वाला या वाली )

सुन्न पड़ गयीं अंगुलियाँ के लकवा मारा हो
क़िस्से गिड़गिड़ाते रहे के मुझे कहानी होने दे ,,,,,,,

किसी और का देखूँ तो अपना याद आए
बंद आँखों में गुज़री याद को सयानी होने दे ,,,, 

काली रात में ज़िन्दगी कालक-ए-सबील हो चली
सफ़ेद लोगों की आहट से इसको रातरानी होने दे ,,,,,

    ( कालक-ए-सबील - कालक की प्याऊ, ) 

मेरी नज़्मों में मैंनें सदा खुदको ही दिखाया 
जान पाए ज़माना ऐसी कोई निशानी होने दे,,,,,,, 

आखिर कब तलक तम ,तुझे बचायेगा सतिन्दर
राम बख़्श के इसको भी तू ज़िन्दगानी होने दे ,,,,
        तम- अंधेरा

©️✍️ सतिन्दर नज़्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 

अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे 
डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,,

काली काली रातों ने क्या कहर मचाया
अब न तेरी न मेरी कुछ अनमनी होने दे ,,,,,,,
अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे 
डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,,

काली काली रातों ने क्या कहर मचाया
अब न तेरी न मेरी कुछ अनमनी होने दे ,,,,,,, 

बहुत बातें की हैं तूने रातों में पसरकर
सुकुड़ के जानाँ सुबह मनमोनी होने दे ,,,,,,,

मेरे जबीं पर करीं होके रख्खे कितने बोसे
मकाँ तो तेरा हुआ अब मुझे मकीनी होने दे,,,,

     ( जबीं - माथा, करीं- करीब , बोसा- चुम्बन, मकीं- मकान में रहने वाला या वाली )

सुन्न पड़ गयीं अंगुलियाँ के लकवा मारा हो
क़िस्से गिड़गिड़ाते रहे के मुझे कहानी होने दे ,,,,,,,

किसी और का देखूँ तो अपना याद आए
बंद आँखों में गुज़री याद को सयानी होने दे ,,,, 

काली रात में ज़िन्दगी कालक-ए-सबील हो चली
सफ़ेद लोगों की आहट से इसको रातरानी होने दे ,,,,,

    ( कालक-ए-सबील - कालक की प्याऊ, ) 

मेरी नज़्मों में मैंनें सदा खुदको ही दिखाया 
जान पाए ज़माना ऐसी कोई निशानी होने दे,,,,,,, 

आखिर कब तलक तम ,तुझे बचायेगा सतिन्दर
राम बख़्श के इसको भी तू ज़िन्दगानी होने दे ,,,,
        तम- अंधेरा

©️✍️ सतिन्दर नज़्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, 

अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे 
डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,,

काली काली रातों ने क्या कहर मचाया
अब न तेरी न मेरी कुछ अनमनी होने दे ,,,,,,,

नज़्म ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, अब कुछ ऐसा होने दे, के रोशनी होने दे डरे हुए अंधेरे चल कुछ अनहोनी होने दे ,,,,,,,, काली काली रातों ने क्या कहर मचाया अब न तेरी न मेरी कुछ अनमनी होने दे ,,,,,,, #Shayari