उम्मीद..... उम्मीद अब खुद से ही लगानी पड़ेगी, रिश्तो की डोर को मजबूत बनानी पड़ेगी, आहिस्ता-आहिस्ता ही टूटती है उम्मीद, कच्ची डोर को मजबूत बनानी पड़ेगी! गैरो से कौन लगाता है उम्मीद, उम्मीद तो अपनो से लगानी पड़ेगी, गैरो की उम्मीद की नीव कमजोर जो होती है, अपनो की उम्मीद की नीव सालो-साल साथ चलती है! रूठी हुई किस्मत से कौन उम्मीद लगाता है, उम्मीद तो खुद से लगाओ जो रास्ते को भी आसान बनाता है...!! ©Sita Kumari #उम्मीद #उम्मीद_ए_इश्क़ #हिंदी_कविता #हिंदी_शब्द #हिंदी_कोट्स_शायरी #हिंदीnojoto #Thoughts Sakshi Dhingra Shivaye OM