किस्मत मैं नहीं मानती किस्मत को और न तकदीर को नही चाहिए खुदा की नेमत मुझें मैं प्यार करती थी करती हूँ और करती रहूंगी है औकात तो निकाल दे मेरे जहन से मेरे साई को मैं भी कट्टर हूँ जान चली जायेगी पर उसे दूर नही होने दूंगी खुद से मैं पागल भी हो जाऊं तो खुशी होगी उसकी यादो में ही सही आगरा में मरूंगी पर उसे भुलाना न न न नर्गिस नहीं नही नही कभी नही