यूँ ना देख मुझे तू, इन क़ातिल तिरछी निगाहों से डरता है दिल, तेरी बहकी-बहकी इन निगाहों से साथी तेरे लबों पर सजी जो ये हसीन मुस्कान है महकती सांसे मेरी इससे, ये सुन्दर गुलिस्तान है ♥️ Challenge-541 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।