उसकी सूरत मेरे दिल से उतरती रही , मुझसे किये वादों से वो मुकरती रही। लगा के मुझे ये श्रृंगार रस है मेरे लिए , पर रक़ीब के लिए सजती-सँवरती रही छोड़ा उसने मुझे किसी और कि ख़ातिर , काँच की तरह टूट के रोज़ बिखरती रही। अक्सर जहाँ मिला करते थे हम दोनों , अब उन सभी गलियोंसे वो गुज़रती रही। जहाँ से उसे दिखे मुझ गरीब का ख़ाना , गली के चौराहें पर घंटो वो ठहरती रही। ©आराधना #shabdshringaar #nojoto #nojotoapp #nojotohindi