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दोहा  अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप, अति

दोहा

 अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,

अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

अर्थ

कबीर दास जी कहते है कि न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।
॥मेरे राम॥

©Himanshu Tomar #मेरे_राम #कबीर #दोहा #अति #जीवन
#Lohri
दोहा

 अति का भला न बोलना, अति की भली न चूप,

अति का भला न बरसना, अति की भली न धूप।

अर्थ

कबीर दास जी कहते है कि न तो अधिक बोलना अच्छा है, न ही जरूरत से ज्यादा चुप रहना ही ठीक है। जैसे बहुत अधिक वर्षा भी अच्छी नहीं और बहुत अधिक धूप भी अच्छी नहीं है।
॥मेरे राम॥

©Himanshu Tomar #मेरे_राम #कबीर #दोहा #अति #जीवन
#Lohri