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लफ्ज ओ दराज़ गर निकले तो रोका न करो। तेरे रूह से

लफ्ज ओ दराज़ गर निकले 
तो रोका न करो।
तेरे रूह से लिपटीं 
गर मेरे इश्क़ की बूह ए बारियां 
तो रोका न कर। 
बेकस तेरे ख्यालों को 
मैं अपने रुख़सार पे लगाने आई हूँ, 
गर चढ़े ये रंग तो चढ़ने से 
न रोका करो। 
मेरे जे़हन में हबाब सा उठता इश्क़ 
गर नजरों में छलक पड़े 
तो रोका न करो।
लफ्ज़ ओ दराज़ गर निकले 
तो रोका न करो #loveexpression
लफ्ज ओ दराज़ गर निकले 
तो रोका न करो।
तेरे रूह से लिपटीं 
गर मेरे इश्क़ की बूह ए बारियां 
तो रोका न कर। 
बेकस तेरे ख्यालों को 
मैं अपने रुख़सार पे लगाने आई हूँ, 
गर चढ़े ये रंग तो चढ़ने से 
न रोका करो। 
मेरे जे़हन में हबाब सा उठता इश्क़ 
गर नजरों में छलक पड़े 
तो रोका न करो।
लफ्ज़ ओ दराज़ गर निकले 
तो रोका न करो #loveexpression