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देस की अपाहिजता देस मेरा जंजीर मे हे लीपटा, ना जा

देस की अपाहिजता

देस मेरा जंजीर मे हे लीपटा,
ना जाने कब फ़ीरसे होगा अज़ाद,
मचल गया जब होना एकजुट था,
तब सुरु हुइ गलत राजनीती बार बार,
धोका ना कर नीजजीवन के खातीर तु,
जब गरीब के हक नीवाला खायेगा तु,
हर बार का हिसाब भुगतेगा तु,
जब मचल जाते है  श्रमवीर जब,
दो वक्त के खाने को तडप जाता है,
ना भुल खेत खलीयारे खिलते है,
तब श्रमवीर सेकडो घाव ज़ीलते है,
वोह अपने हालात पर बेहाल चुप हो गया है,
लगता है हालात ने चुप करा दिया है,
सोच ! तु घुस खायेगा,
 करेगा कर की चोरी तु,
बात बात पर करेगा मनमानी अपने आप की,
तब सोच तु जब खेत सारे खाली होगे,
ना पानी देने वाले होगे, 
ना हूकुम का काम होगा,
उत्पादन गृह भरे होगे,
 पर ना लोड करने वाले होगे,
सारा व्यवहार रुका होगा, 
जब वोह  घर पे बेठा होगा,
सारी उन्नति रुक जायेगी, 
तब तु अपाहिज हो जायेगा,
तब समज जायेगा तु, 
क्या क्या कर्ते थे वेह लोग काम,
है देस के ठेकेदार समभल और समझ जा हो रहा हे तु बर्बाद |

                                                             निशित #message#raajneeti#labour
देस की अपाहिजता

देस मेरा जंजीर मे हे लीपटा,
ना जाने कब फ़ीरसे होगा अज़ाद,
मचल गया जब होना एकजुट था,
तब सुरु हुइ गलत राजनीती बार बार,
धोका ना कर नीजजीवन के खातीर तु,
जब गरीब के हक नीवाला खायेगा तु,
हर बार का हिसाब भुगतेगा तु,
जब मचल जाते है  श्रमवीर जब,
दो वक्त के खाने को तडप जाता है,
ना भुल खेत खलीयारे खिलते है,
तब श्रमवीर सेकडो घाव ज़ीलते है,
वोह अपने हालात पर बेहाल चुप हो गया है,
लगता है हालात ने चुप करा दिया है,
सोच ! तु घुस खायेगा,
 करेगा कर की चोरी तु,
बात बात पर करेगा मनमानी अपने आप की,
तब सोच तु जब खेत सारे खाली होगे,
ना पानी देने वाले होगे, 
ना हूकुम का काम होगा,
उत्पादन गृह भरे होगे,
 पर ना लोड करने वाले होगे,
सारा व्यवहार रुका होगा, 
जब वोह  घर पे बेठा होगा,
सारी उन्नति रुक जायेगी, 
तब तु अपाहिज हो जायेगा,
तब समज जायेगा तु, 
क्या क्या कर्ते थे वेह लोग काम,
है देस के ठेकेदार समभल और समझ जा हो रहा हे तु बर्बाद |

                                                             निशित #message#raajneeti#labour