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हिन्दू हो या मुस्लमान हो तुम गीता हो या

हिन्दू   हो   या  मुस्लमान  हो  तुम
गीता  हो  या  और  क़ुरान  हो तुम

मंदिर    में   बजता   भजन   कोई
या    आवाज़-ए-अज़ान   हो   तुम

तुम्हें  गीता  का  एक  श्लोक   कहूँ
या   फिर सूर-ए-रहमान   हो   तुम

तुम    दीवाली    का    दिया  कोई?
या    इफ्तार-ए-रमज़ान    हो   तुम

किसी चिता  से  उठता धुआँ कहूँ?
या   ख़ाक़-ए-क़ब्रिस्तान   हो   तुम

हो     ब्राह्मण,    क्षत्रिय,    राजपूत
सय्यद,  मिर्ज़ा,  और  खान हो तुम

ये  सारे  झगड़े  बाद  में हैं
सबसे पहले इंसान हो तुम
ये  सारे  झगड़े  बाद  में हैं
सबसे पहले इंसान हो तुम बढ़ती नफरतों से एक सवाल कविता के रूप में और जवाब आखरी चार पंक्तियों में 🙌

#imagism #Nojoto
हिन्दू   हो   या  मुस्लमान  हो  तुम
गीता  हो  या  और  क़ुरान  हो तुम

मंदिर    में   बजता   भजन   कोई
या    आवाज़-ए-अज़ान   हो   तुम

तुम्हें  गीता  का  एक  श्लोक   कहूँ
या   फिर सूर-ए-रहमान   हो   तुम

तुम    दीवाली    का    दिया  कोई?
या    इफ्तार-ए-रमज़ान    हो   तुम

किसी चिता  से  उठता धुआँ कहूँ?
या   ख़ाक़-ए-क़ब्रिस्तान   हो   तुम

हो     ब्राह्मण,    क्षत्रिय,    राजपूत
सय्यद,  मिर्ज़ा,  और  खान हो तुम

ये  सारे  झगड़े  बाद  में हैं
सबसे पहले इंसान हो तुम
ये  सारे  झगड़े  बाद  में हैं
सबसे पहले इंसान हो तुम बढ़ती नफरतों से एक सवाल कविता के रूप में और जवाब आखरी चार पंक्तियों में 🙌

#imagism #Nojoto
adnanmughal1691

Adnan mughal

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