सुनो! पारिजात! तुमसे है मेरी इक इल्तिजा अपनी भीनी सुगंध तू आकर बिखेर जा कितनी मुद्दत के बाद मिलेंगे हम उनसे मन हुआ जाता है हमारा पुलकित सा — % & #rztask253 #restzone #rzलेखकसमूह #bestyqhindiquotes #trendingquotes #YourQuoteAndMine Collaborating with Pankhuri Sinha