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सुनो, मैंने हमदोनों के नाम एक शाम रखी है सिर्फ आपक

सुनो,
मैंने हमदोनों के नाम एक शाम रखी है
सिर्फ आपके नाम की और
एक ऐसी उम्मीद में की
जब हम मिले तो
साथ मे जिए उस
सुरमई शाम को.......


हमदोनों एक साथ
हाथों में जाम ले कर
करेंगे काफी सारी बातें
और बातों ही बातों में 
निकल जाएंगे कहीं दूर
सुनते हुए एक दूसरे की कविताएँ.....
यानी एक दूसरे की मन की कविता
और एकदूसरे की कविताओं से
हम दोनों महकने लगेंगे
बिल्कुल गुलाब की तरह........

फिर कुछ इस तरह 
तुम्हारी ख़ुशबुओं को मैं
कुछ इस तरह बसा लूंगी
अपने रूह के अंदर की,
तुम्हारे जाने के बाद भी
मैं महकती रहूँ ताउम्र....

हाँ बस यूँ ही।

©Manali Rohan
  #manalirohan