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वह रस्ते तर्क करती थी मैं मंज़िल छोड़ देता था, जहा

वह रस्ते तर्क करती थी मैं मंज़िल छोड़ देता था,
जहाँ इज़्ज़त नही मिलती थी 
वह महफ़िल छोड़ देता था।।

मुझे माँगे हुए साए हमेशा धूप लगते थे,
मैं सूरज के गले पड़ता था,
बादल छोड़ देता था।।

ताल्लुक़ यूं नही रखता कभी किसी से
क्योंकि
कभी रखा कभी छोड़ा मैं नहीं करता था..
जिसे मैं छोड़ता हूं फिर मुकम्मल छोड़ देता हूँ।।

©Prem_pyare #Tuaurmain #छोड़_दिया
वह रस्ते तर्क करती थी मैं मंज़िल छोड़ देता था,
जहाँ इज़्ज़त नही मिलती थी 
वह महफ़िल छोड़ देता था।।

मुझे माँगे हुए साए हमेशा धूप लगते थे,
मैं सूरज के गले पड़ता था,
बादल छोड़ देता था।।

ताल्लुक़ यूं नही रखता कभी किसी से
क्योंकि
कभी रखा कभी छोड़ा मैं नहीं करता था..
जिसे मैं छोड़ता हूं फिर मुकम्मल छोड़ देता हूँ।।

©Prem_pyare #Tuaurmain #छोड़_दिया
anuragdubey1555

ANURAG

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