बेशक अकेली हु जिंदगी के जंग में लेकिन अकेले चलने की आदत नही, आज तक बहूत भरोसे टूटे है पर भरोसा करने की आदत छुटी नही, मैं बस बेसुमार प्यार बाँटना चाहती हु यूँ नफरत फैलाना मेरी आदत नही, बहुत खाई है चोटें मैने जिंदगी में हर मुश्किल में मुस्कुराने की आदत छुटी नही, जो भी कहती हूं सच कहती हूं यूँ अंदर घुट -घुट के जीना मेरी आदत नही, माना कि रिश्ते बिखर जाते है वक्त के साथ उसे भुलाना मेरी आदत नही, लंबी सी जिंदगी में से थोड़ी सी खुशी चाहती हूँ यू हर किसी को रुलाना मेरी आदत नही।। @Deepti मेरी आदत