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इश्क के मौसम में सूखे वृक्ष को,बचाने की,उत्सुकता द

इश्क के मौसम में सूखे वृक्ष को,बचाने की,उत्सुकता दिल मे लिए फिरता हूँ
लबालब भरी प्रीत की हर एक "अंजुरी" में, मैं फिर भी दरबदर भटकता हूँ
 किस्सा मोहब्बत का यूँहीं खत्म नही होने देगा "राज"
शीरी फरहाद के मोहब्बत का पहलू ,मैं हीर के राँझे की प्रेम वास्तविकता हूँ

©Saurabh Raj Sauri अंजुरी♥️
इश्क के मौसम में सूखे वृक्ष को,बचाने की,उत्सुकता दिल मे लिए फिरता हूँ
लबालब भरी प्रीत की हर एक "अंजुरी" में, मैं फिर भी दरबदर भटकता हूँ
 किस्सा मोहब्बत का यूँहीं खत्म नही होने देगा "राज"
शीरी फरहाद के मोहब्बत का पहलू ,मैं हीर के राँझे की प्रेम वास्तविकता हूँ

©Saurabh Raj Sauri अंजुरी♥️