चढ़ा जो मोहब्बत का, मुझ पर सुरूर था, तुझे अपना बनाने का, अलग सा फ़ितूर था, न जाने क्यों मुझे अपने, इश्क़ पर ग़ुरूर था, मगर न मालूम था कि तेरे, फ़ितरत में वफा नहीं वरना, ऐसा ख्वाब ही क्यों देखता, जो टूटना ज़रूर था।। ©Shobhit Bajpai #Broken #Khawab #mohabbat #brokenheart