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रब तु आज कल क्यों बिकता है यू नफरतों के गलियारों म

रब तु आज कल क्यों बिकता है
यू नफरतों के गलियारों में ,
रब ने मुझ से कह दिया
बिका कल भी नहीं ,
और न आज भी
बस बात इतनी है तुमने मुझे
बिका दिया आत्मा के गलियारों से
और मुझसे पूछते हो
की में कैसे बिकता हूं, #Frien#dship #rab Zubair Ahmad Vineet ananĐ कवि देवीलाल पंवार Sachin Shukla S bedardi
रब तु आज कल क्यों बिकता है
यू नफरतों के गलियारों में ,
रब ने मुझ से कह दिया
बिका कल भी नहीं ,
और न आज भी
बस बात इतनी है तुमने मुझे
बिका दिया आत्मा के गलियारों से
और मुझसे पूछते हो
की में कैसे बिकता हूं, #Frien#dship #rab Zubair Ahmad Vineet ananĐ कवि देवीलाल पंवार Sachin Shukla S bedardi