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बचपन और शैतानी बचपन के दिन जब भी याद आते हैं, कभी

बचपन और शैतानी बचपन के दिन जब भी याद आते हैं, 
कभी हँसते हैं तो कभी मुस्कुराते हैं !
चलो nojoto के दोस्तों आप सभी को, 
बचपन का एक वाकया सुनाते हैं........ 
एक बार माँ जी के साथ अस्पताल गए थे ! 
अस्पताल में चारो ओर नज़र डाल रहे थे !!
अचानक नज़र हमारी टेप पर पड़ी !
नज़र उस पर रह गई, गड़ी की गड़ी!!
सबकी नज़र बचाकर टेप वहाँ से उठाया !
जेब में रखा और घर पहुँचाया !!
घर में भी जब किसीको इधर उधर न देखा !
पूरा टेप निकला डिब्बे से कूड़ेदान में फेंका !!
हमने उसको फिर पहिया एक बनाया !
रोड और गलियों में,जमकर खूब चलाया !!
अगले दिन डाक्टर साहब घर हमारे आए !
देखा जब पहिए को खूब हमें चिल्लाये !!
अब भी डाक्टर साहब की जब अस्पताल हम जाते हैं,! 
हमारे बचपन की शैतानी, लोगों को वे सुनाते हैं !! मेरे बचपन की शैतानी.......
बचपन और शैतानी बचपन के दिन जब भी याद आते हैं, 
कभी हँसते हैं तो कभी मुस्कुराते हैं !
चलो nojoto के दोस्तों आप सभी को, 
बचपन का एक वाकया सुनाते हैं........ 
एक बार माँ जी के साथ अस्पताल गए थे ! 
अस्पताल में चारो ओर नज़र डाल रहे थे !!
अचानक नज़र हमारी टेप पर पड़ी !
नज़र उस पर रह गई, गड़ी की गड़ी!!
सबकी नज़र बचाकर टेप वहाँ से उठाया !
जेब में रखा और घर पहुँचाया !!
घर में भी जब किसीको इधर उधर न देखा !
पूरा टेप निकला डिब्बे से कूड़ेदान में फेंका !!
हमने उसको फिर पहिया एक बनाया !
रोड और गलियों में,जमकर खूब चलाया !!
अगले दिन डाक्टर साहब घर हमारे आए !
देखा जब पहिए को खूब हमें चिल्लाये !!
अब भी डाक्टर साहब की जब अस्पताल हम जाते हैं,! 
हमारे बचपन की शैतानी, लोगों को वे सुनाते हैं !! मेरे बचपन की शैतानी.......

मेरे बचपन की शैतानी.......