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// caption // तुम्हें पता है प्रिय, सुबह से लेक

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  तुम्हें पता है प्रिय, सुबह से लेकर शाम कब बीत जाती पता ही नहीं चलता, दिन भर तुम भी व्यस्त रहते और मैं भी, तुम्हारी व्यवस्ता और   उसका कारण दोनों ही महत्व रखते हैं, और मायने रखते हैं तुम्हारे वो छोटे - छोटे कॉल्स किये जाते बच्चों का और मेरा हाल पूछे जाने के लिए, जब कभी कॉल वक़्त पर नहीं आता तो मेरी आँखें पौज्ड हो जाती हैं फ़ोन की स्क्रीन पर कि तुम ऐसे - कैसे और कहां इतने व्यस्त हो गए होंगे के एक कॉल तक नहीं किया,.

         अटकी सांस में सांस आ जाती है, तुम्हारा कॉल वापिस से पा कर,. हाँ पता है मुझे शाम को कभी - कभी देर हो जाती है, और मैं बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती हूँ,. मुझे होश भी न रहता कुछ भी बोलने लग जाती हूँ  न जगह देखती न सिचुएशन , बड़बड़ - बड़बड़ मेरी और तुम्हारे चेहरे का सुकून शरारती हंसी मुझे और ज्यादा चिढ़ाती और मैं और ज्यादा बड़बड़ करती रहती, तुम्हारे कहे अनुसार  ' आज कुकू का पारा हाई हो रखा है ',

       पर ये बड़बड़ाना ना सच्ची मेरा झूठा होता है, उसके पीछे छुपा होता है मेरा हिडन प्यार और परवाह तुम्हारे, मेरा गुस्सा मेरा चिड़चिड़ा पन खत्म हो जाता तुम्हारे मेरे माथे को चूमने पर, और इस  तरह बैठ जाता मेरा हाई हुआ पारा,

  दुनिया कि सबसे महफूज जगह है तुम्हारी बाहें जहां मेरा हर दिन खत्म होता है, किसी बच्चे कि तरह सुला देते हो बाल सहला -सहला कर अपनी ही बनाई आधी - अधूरी कहानी सुना कर, और इस तरह मैं खो जाती हूँ तुम्हारे सपनों कि दुनिया में,
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  तुम्हें पता है प्रिय, सुबह से लेकर शाम कब बीत जाती पता ही नहीं चलता, दिन भर तुम भी व्यस्त रहते और मैं भी, तुम्हारी व्यवस्ता और   उसका कारण दोनों ही महत्व रखते हैं, और मायने रखते हैं तुम्हारे वो छोटे - छोटे कॉल्स किये जाते बच्चों का और मेरा हाल पूछे जाने के लिए, जब कभी कॉल वक़्त पर नहीं आता तो मेरी आँखें पौज्ड हो जाती हैं फ़ोन की स्क्रीन पर कि तुम ऐसे - कैसे और कहां इतने व्यस्त हो गए होंगे के एक कॉल तक नहीं किया,.

         अटकी सांस में सांस आ जाती है, तुम्हारा कॉल वापिस से पा कर,. हाँ पता है मुझे शाम को कभी - कभी देर हो जाती है, और मैं बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती हूँ,. मुझे होश भी न रहता कुछ भी बोलने लग जाती हूँ  न जगह देखती न सिचुएशन , बड़बड़ - बड़बड़ मेरी और तुम्हारे चेहरे का सुकून शरारती हंसी मुझे और ज्यादा चिढ़ाती और मैं और ज्यादा बड़बड़ करती रहती, तुम्हारे कहे अनुसार  ' आज कुकू का पारा हाई हो रखा है ',

       पर ये बड़बड़ाना ना सच्ची मेरा झूठा होता है, उसके पीछे छुपा होता है मेरा हिडन प्यार और परवाह तुम्हारे, मेरा गुस्सा मेरा चिड़चिड़ा पन खत्म हो जाता तुम्हारे मेरे माथे को चूमने पर, और इस  तरह बैठ जाता मेरा हाई हुआ पारा,

  दुनिया कि सबसे महफूज जगह है तुम्हारी बाहें जहां मेरा हर दिन खत्म होता है, किसी बच्चे कि तरह सुला देते हो बाल सहला -सहला कर अपनी ही बनाई आधी - अधूरी कहानी सुना कर, और इस तरह मैं खो जाती हूँ तुम्हारे सपनों कि दुनिया में,
alpanabhardwaj6740

AB

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तुम्हें पता है प्रिय, सुबह से लेकर शाम कब बीत जाती पता ही नहीं चलता, दिन भर तुम भी व्यस्त रहते और मैं भी, तुम्हारी व्यवस्ता और उसका कारण दोनों ही महत्व रखते हैं, और मायने रखते हैं तुम्हारे वो छोटे - छोटे कॉल्स किये जाते बच्चों का और मेरा हाल पूछे जाने के लिए, जब कभी कॉल वक़्त पर नहीं आता तो मेरी आँखें पौज्ड हो जाती हैं फ़ोन की स्क्रीन पर कि तुम ऐसे - कैसे और कहां इतने व्यस्त हो गए होंगे के एक कॉल तक नहीं किया,. अटकी सांस में सांस आ जाती है, तुम्हारा कॉल वापिस से पा कर,. हाँ पता है मुझे शाम को कभी - कभी देर हो जाती है, और मैं बहुत ज्यादा चिड़चिड़ी हो जाती हूँ,. मुझे होश भी न रहता कुछ भी बोलने लग जाती हूँ न जगह देखती न सिचुएशन , बड़बड़ - बड़बड़ मेरी और तुम्हारे चेहरे का सुकून शरारती हंसी मुझे और ज्यादा चिढ़ाती और मैं और ज्यादा बड़बड़ करती रहती, तुम्हारे कहे अनुसार ' आज कुकू का पारा हाई हो रखा है ', पर ये बड़बड़ाना ना सच्ची मेरा झूठा होता है, उसके पीछे छुपा होता है मेरा हिडन प्यार और परवाह तुम्हारे, मेरा गुस्सा मेरा चिड़चिड़ा पन खत्म हो जाता तुम्हारे मेरे माथे को चूमने पर, और इस तरह बैठ जाता मेरा हाई हुआ पारा, दुनिया कि सबसे महफूज जगह है तुम्हारी बाहें जहां मेरा हर दिन खत्म होता है, किसी बच्चे कि तरह सुला देते हो बाल सहला -सहला कर अपनी ही बनाई आधी - अधूरी कहानी सुना कर, और इस तरह मैं खो जाती हूँ तुम्हारे सपनों कि दुनिया में,