सफर तो हर जगह का होता है , पर कोई अपना नही होता है।। मुसाफिर आते है कि खुशी से लगता है अपने हो जाएंगे, फिर उनके उम्मीदों की रेल आते ही वो अपने रास्तो पर निकल जाते है।। कई हमराही मिलते है,कई अपने जैसे लगते है, जब यकीन हो कि वो साथ देंगे तबतक वो भी निकल जाते है।। परीक्षक भी मिलते है जाचने नापने के लिए, गलती होतो सुधारते है और सही हो तो मुस्कुरा कर निकल जाते है।। ठहरता तो कोई नही फिर भी हम हर गाड़ी की खुशी पहले जैसी ही दिखते है।। क्या पता कभी हमको भी मिल जाएगा हमसफर साथ देने वाला मिल जाएगी एक गाड़ी हमारे रास्तो की भी हम भी निकल जाएंगे उसको पकड़कर हो जाएंगे हम भी किसी रास्ते के और पहुच जाएंगे अपनी मंज़िल पर।।— % & #munasif_e_mirza #munasif_life #life