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जय माता दी पहले तनहाई में रो लेते थे दिन में एकक

जय माता दी 

पहले तनहाई में रो लेते थे दिन में एककाद बार आंखे भिगो लेते थे 
फिर तेरी मोहोब्बत कि आंधी आग संग उम्मीदो के तुफानो लाई आंखों से आंसू सूख गये बहारो के फूल खिल गये 
मगर मेरी गरीबी तुम सहना पाई अब फिर से में और मेरी तनहाई दस बीस बार रोज आंखे भर आई

©M R Mehata बेवफ़ाई
जय माता दी 

पहले तनहाई में रो लेते थे दिन में एककाद बार आंखे भिगो लेते थे 
फिर तेरी मोहोब्बत कि आंधी आग संग उम्मीदो के तुफानो लाई आंखों से आंसू सूख गये बहारो के फूल खिल गये 
मगर मेरी गरीबी तुम सहना पाई अब फिर से में और मेरी तनहाई दस बीस बार रोज आंखे भर आई

©M R Mehata बेवफ़ाई