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मिल रही है हर कदम पर घोर निराशा, मगर सफ़लता की आस

मिल रही है हर कदम पर घोर निराशा, मगर सफ़लता की आस में रहते है,
कब मिटेगा मेरे असफलता का दाग, वो घड़ी वो पल के इंतजार में रहते है।
चाहे हो गोधूलि बेला, हो चाहे सांझ सबेरा, ख़ुद को करके मैं तन्हा अकेला,
कब लिखूंगी मैं सफ़लता की दास्तां, इसी उधेड़ बुन के ख्यालों में रहते है।।
कभी करती अथक परिश्रम, तो कभी हाथों की लकीरों पर विश्वास करती,
भविष्य के गर्भ में है क्या छिपा, हम तो बस इसी ख्वाबों में ही खोये रहते है। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏

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🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 192 में स्वागत करता है..🙏🙏

💫आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।
मिल रही है हर कदम पर घोर निराशा, मगर सफ़लता की आस में रहते है,
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